muharram poetry || karbala poetry || Imam hussain poetry
غرور ٹوٹ گیا کوئی مرتبہ نہ ملا
ستم کے بعد بھی کچھ حاصلِ جفا نہ ملا
سرِ حسین مِلا یزید کو لیکن
شکست یہ کہ پھر بھی جھکا ہوا نہ ملا
गर्व टूट गया था, कभी नहीं मिला
उत्पीड़न के बाद भी कुछ हासिल नहीं हुआ
सर हुसैन ने यज़ीद से मुलाकात की लेकिन
हार यह थी कि वह अभी भी झुका नहीं था
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